Breaking News
लद्दाख पहुंचे पीएम मोदी, कारगिल वॉर मेमोरियल पर शहीदों को दी श्रद्धांजलि
लद्दाख पहुंचे पीएम मोदी, कारगिल वॉर मेमोरियल पर शहीदों को दी श्रद्धांजलि
जलाशयों की रॉयल्टी फ्री डिसिल्टिंग की बनेगी नीति
जलाशयों की रॉयल्टी फ्री डिसिल्टिंग की बनेगी नीति
कारगिल विजय दिवस – सीएम धामी ने शहीद परिवारों के हित में की चार घोषणाएं
कारगिल विजय दिवस – सीएम धामी ने शहीद परिवारों के हित में की चार घोषणाएं
महिलाओं पर बढ़ते अत्याचारों को लेकर किया जाएगा ‘राष्ट्रीय व्यापी आंदोलन’
महिलाओं पर बढ़ते अत्याचारों को लेकर किया जाएगा ‘राष्ट्रीय व्यापी आंदोलन’
जानकीचट्टी से यमुनोत्री धाम के बीच छह किलोमीटर हिस्से में यमुना नदी ने दिखाया रौद्र रूप
जानकीचट्टी से यमुनोत्री धाम के बीच छह किलोमीटर हिस्से में यमुना नदी ने दिखाया रौद्र रूप
महिला एशिया कप 2024- भारत और बांग्लादेश के बीच पहला सेमीफाइनल मुकाबला आज 
महिला एशिया कप 2024- भारत और बांग्लादेश के बीच पहला सेमीफाइनल मुकाबला आज 
नॉन स्टिक में बना खाना कर सकता है बीमार, टेफ्लॉन फ्लू का बढ़ रहा है खतरा, जानें कारण और इसके लक्षण
नॉन स्टिक में बना खाना कर सकता है बीमार, टेफ्लॉन फ्लू का बढ़ रहा है खतरा, जानें कारण और इसके लक्षण
एक हजार अतिथि शिक्षकों की करायी जायेगी नियुक्ति- डॉ धन सिंह रावत 
एक हजार अतिथि शिक्षकों की करायी जायेगी नियुक्ति- डॉ धन सिंह रावत 
दरबार हॉल’ और ‘अशोक हॉल’ के नाम में हुआ बदलाव, यहां जानें नए नाम
दरबार हॉल’ और ‘अशोक हॉल’ के नाम में हुआ बदलाव, यहां जानें नए नाम

रामनवमी पर रामलला का हुआ सूर्य अभिषेक, भक्ति और विज्ञान के अद्भुत संगम को निहारती रही दुनिया 

रामनवमी पर रामलला का हुआ सूर्य अभिषेक, भक्ति और विज्ञान के अद्भुत संगम को निहारती रही दुनिया 

उत्तर प्रदेश। रामलला का सूर्य अभिषेक दोपहर 12 बजकर 01 मिनट पर हुआ। सूर्य की किरणें रामलला के चेहरे पर पड़ीं। करीब 75 मिमी का टीका राम के चेहरे पर बना। दुनिया भक्ति और विज्ञान के अद्भुत संगम को भक्तिभाव से निहारती रही। यह धर्म और विज्ञान का भी चमत्कारिक मेल रहा। इस सूर्य तिलक के लिए वैज्ञानिकों ने कई महीने से तैयारी की थी। इसके लिए कई ट्रायल किए गए। आज दोपहर में जैसे ही घड़ी में 12 बजकर 01 मिनट हुए सूर्य की किरणें सीधा राम के चेहरे पर पहुंच गईं। 12 बजकर एक मिनट से 12 बजकर 6 मिनट तक सूर्य अभिषेक होता रहा। पूरे पांच मिनट तक यह प्रक्रिया चली।

वैज्ञानिकों ने बीते 20 वर्षों में अयोध्या के आकाश में सूर्य की गति अध्ययन किया है। सटीक दिशा आदि का निर्धारण करके मंदिर के ऊपरी तल पर रिफ्लेक्टर और लेंस स्थापित किया है। सूर्य रश्मियों को घुमा फिराकर रामलला के ललाट तक पहुंचाया गया। सूर्य की किरणें ऊपरी तल के लेंस पर पड़ीं। उसके बाद तीन लेंस से होती हुई दूसरे तल के मिरर पर आईं। अंत में सूर्य की किरणें रामलला के ललाट पर 75 मिलीमीटर के टीके के रूप में दैदीप्तिमान होती रहीं और ये लगभग पांच मिनट तक टिकी रहीं।

सूर्य तिलक के लिए आईआईटी रुड़की सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने एक खास ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम तैयार किया है। इसमें मंदिर के सबसे ऊपरी तल (तीसरे तल) पर लगे दर्पण पर ठीक दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें पडे़ंगी। दर्पण से 90 डिग्री पर परावर्तित होकर ये किरणे एक पीतल के पाइप में जाएंगी। पाइप के छोर पर एक दूसरा दर्पण लगा है। इस दर्पण से सूर्य किरणें एक बार फिर से परावर्तित होंगी और पीतल की पाइप के साथ 90 डिग्री पर मुड़ जाएंगी।

दूसरी बार परावर्तित होने के बाद सूर्य किरणें लंबवत दिशा में नीचे की ओर चलेंगी। किरणों के इस रास्ते में एक के बाद एक तीन लेंस पड़ेंगे, जिनसे इनकी तीव्रता और बढ़ जाएगी। लंबवत पाइप जाती है। लंबवत पाइप के दूसरे छोर पर एक और दर्पण लगा है।  बढ़ी हुई तीव्रता के साथ किरणें इस दर्पण पर पड़ेंगी और पुन: 90 डिग्री पर मुड़ जाएंगी। 90 डिग्री पर मुड़ी ये किरणें सीधे राम लला के मस्तक पर पड़ेंगी। इस तरह से राम लला का सूर्य तिलक पूरा होगा।

दोपहर 12 बजे से राम का जन्मोत्सव मनाया गया। केदार, गजकेसरी, पारिजात, अमला, शुभ, वाशि, सरल, काहल और रवियोग बने। आचार्य राकेश तिवारी ने बताया कि वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि रामजन्म के समय सूर्य और शुक्र अपनी उच्च राशि में थे। चंद्रमा खुद की राशि में मौजूद थे। इस साल भी ऐसा ही हो रहा है। आचार्य राकेश के अनुसार, ये शुभ योग अयोध्या सहित पूरे भारत की तरक्की के मार्ग प्रशस्त करेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top