*महिला गंगा आरती जानकीपुल पूर्णानंद घाट में महिलाओं ने वसंत पंचमी उत्सव मनाया*
*सितार वादन की प्रस्तुति से मन मोहा*
*महिलाओं द्वारा की जा रही में डॉ. ज्योति शर्मा के सितार ने भरे सात सुरों के रंग*
5 फरवरी। आज ऋषिकेश गंगा आरती ट्रस्ट, जानकीपुल पूर्णानंद घाट में महिलाओं द्वारा की जा रही गंगा आरती में महिलाओं वसंत पंचमी हर्षाेल्लास से मनाया गया। जहां लोगों को हवन कुंड में आहुति डालकर अपने सुखमय जीवन की मंगल कामना की, वहीं वसंत पंचमी की शुभकामनाएं भी दी।
ऋषिकेश गंगा आरती ट्रस्ट की प्रबंधक सुशीला सेमवाल ने कहा कि वसंत को सभी ऋतुओं का राजा कहा जाता है। इस ऋतु की पंचमी का विशेष महत्व है। “वसंत पंचमी” प्रकृति के अद्भुत सौन्दर्य, श्रृंगार और संगीत की मनमोहक ऋतु यानी ऋतुराज के आगमन की सन्देश वाहक है। वसंत पंचमी के दिन से शरद ऋतु की विदाई के साथ पेड़-पौधों और प्राणियों में नवजीवन का संचार होने लगता है। प्रकृति नवयौवना की भांति श्रृंगार करके इठलाने लगती है।
डॉ. ज्योति शर्मा ने मां सरस्वती वंदना एवं देश भक्ति गीत प्रस्तुत करके लोगों का मन मोह लिया।
डॉ. ज्योति शर्मा ने कहा सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह का जन्म भी वसंत पंचमी के दिन ही हुआ था इसलिए ये त्यौहार सिखों के लिए भी महत्व पूर्ण ह। आजकल की भाषा में कहें तो वसंत प्रकृति का सालाना मेकओवर होता है। वसंत पंचमी सिखाती है कि पुराने के अंत के साथ ही नए का सृजन भी होता है। उन्होंने कहा कि ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है कि प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु। अर्थात ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो आचार और मेध है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है। पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी और इस तरह भारत के कई हिस्सों में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा होने लगी।
वसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। हर दिन नई उमंग से सूर्योदय होता है और नई चेतना प्रदान कर अगले दिन फिर आने का आश्वासन देकर चला जाता है। यों तो माघ का यह पूरा मास ही उत्साह देने वाला है, पर वसंत पंचमी का पर्व भारतीय जनजीवन को अनेक तरह से प्रभावित करता है। प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है। जो शिक्षाविद भारत और भारतीयता से प्रेम करते हैं, वह इस दिन मां शारदे की पूजा कर उनसे और अधिक ज्ञानवान होने की प्रार्थना करते हैं।
कलाकारों का तो कहना ही क्या ? जो महत्व सैनिकों के लिए अपने शस्त्रों और विजयादशमी का है, जो विद्वानों के लिए अपनी पुस्तकों और व्यास पूर्णिमा का है, जो व्यापारियों के लिए अपने तराजू, बाट, बही खातों और दीपावली का है, वही महत्व कलाकारों के लिए वसंत पंचमी का है। चाहे वह कवि हों या लेखक, गायक हों या वादक, नाटककार हों या नृत्यकार, सब अपने दिन की शुरुआत अपने उपकरणों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते है।