Breaking News
केदारनाथ धाम में 118.93 करोड़ की लागत से बनेगा विद्युत सब स्टेशन
केदारनाथ धाम में 118.93 करोड़ की लागत से बनेगा विद्युत सब स्टेशन
आईपीएल 2025- कोलकाता नाइट राइडर्स और राजस्थान रॉयल्स के बीच मुकाबला आज 
आईपीएल 2025- कोलकाता नाइट राइडर्स और राजस्थान रॉयल्स के बीच मुकाबला आज 
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने विभिन्न प्रस्तावों पर लगाई मुहर
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने विभिन्न प्रस्तावों पर लगाई मुहर
आर माधवन की आगामी फिल्म ‘टेस्ट’ का ट्रेलर हुआ रिलीज, 4 अप्रैल को नेटफ्लिक्स पर प्रीमियर होगी फिल्म
आर माधवन की आगामी फिल्म ‘टेस्ट’ का ट्रेलर हुआ रिलीज, 4 अप्रैल को नेटफ्लिक्स पर प्रीमियर होगी फिल्म
प्रदेश के सात जिलों में जल्द होगा महिला छात्रावास का निर्माण
प्रदेश के सात जिलों में जल्द होगा महिला छात्रावास का निर्माण
दक्षिण कोरिया में आग से 16 लोगों की हुई मौत, आग बुझाने में लगे 9,000 अग्निशामक
दक्षिण कोरिया में आग से 16 लोगों की हुई मौत, आग बुझाने में लगे 9,000 अग्निशामक
चारधाम यात्रा पर आने वाले चालकों-परिचालकों के लिए बनेगा विश्राम स्थल
चारधाम यात्रा पर आने वाले चालकों-परिचालकों के लिए बनेगा विश्राम स्थल
क्या आप भी कब्ज और पाचन संबंधी समस्याओं से हैं परेशान, तो इन योगासनों का करें अभ्यास, कुछ ही दिनों में मिलेगी राहत
क्या आप भी कब्ज और पाचन संबंधी समस्याओं से हैं परेशान, तो इन योगासनों का करें अभ्यास, कुछ ही दिनों में मिलेगी राहत
मैदान से लेकर पहाड़ तक परेशान करेगी गर्मी, प्रदेश भर में चढ़ेगा पारा
मैदान से लेकर पहाड़ तक परेशान करेगी गर्मी, प्रदेश भर में चढ़ेगा पारा

शास्त्रीय भाषाओं का विस्तार

शास्त्रीय भाषाओं का विस्तार

अशोक शर्मा
भारत सरकार ने पांच नयी भाषाओं को ‘शास्त्रीय’ (क्लासिकल) भाषाओं की श्रेणी में शामिल किया है।  ये भाषाएं हैं- मराठी, पाली, प्राकृत, असमी एवं बांग्ला।  संस्कृत, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम और उड़िया पहले से ही इस सूची में हैं।  इस प्रकार अब देश में मान्यता प्राप्त शास्त्रीय भाषाओं की कुल संख्या 11 हो गयी है।  उल्लेखनीय है कि 12 अक्टूबर 2004 को तमिल भाषा को शामिल करने के साथ इस सूची का प्रारंभ किया गया था।  उसी वर्ष नवंबर में संस्कृत को और बाद के वर्षों में अन्य भाषाओं को शास्त्रीय दर्जा दिया गया।  अब यह निर्णय आया है।  ये निर्णय विशेषज्ञ समिति एवं साहित्य अकादमी द्वारा तैयार मानदंडों के आधार पर लिये जाते हैं।

 इस वर्ष सुझावों के आधार पर मानदंडों में कुछ संशोधन भी किये गये हैं।  सांस्कृतिक विविधता एवं समृद्धि की दृष्टि से भारत विश्व में अतुलनीय स्थान रखता है।  ‘कोस कोस पर बदले पानी, चार कोस पर बानी’ की विशिष्टता वाले हमारे देश में अनेक प्राचीन भाषाएं हैं, जो अभी भी प्रचलन में हैं।  यह सच है कि कुछ भाषाएं अध्ययन एवं अनुसंधान समेत कुछ विशेष कार्यों के लिए प्रयुक्त होती हैं, पर वे विलुप्त नहीं हुई हैं।  संविधान की आठवीं अनुसूची के अंतर्गत भारतीय भाषाओं का एक वर्गीकरण होता है।  जनगणना के दौरान लोगों द्वारा दी गयी जानकारी के आधार पर भाषियों की गिनती की जाती है।  केंद्र और राज्यों के स्तर पर विभिन्न भाषाओं को संरक्षित करने, उपलब्ध साहित्य का अनुवाद एवं प्रकाशन कराने तथा विकसित करने के कई कार्यक्रम चलते रहते हैं।

पांडुलिपियों के संग्रहण और संरक्षण पर भी बहुत ध्यान दिया जा रहा है।  ऐसे में शास्त्रीय भाषाओं की सूची का विस्तार एक उत्साहजनक निर्णय है।  इससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इनके सांस्कृतिक एवं अकादमिक महत्व को बढ़ाने में मदद मिलेगी।  साल 2008 में शास्त्रीय तमिल के लिए एक केंद्रीय संस्थान की स्थापना की गयी, जिसमें प्राचीन तमिल ग्रंथों के अनुवाद के साथ-साथ तमिल भाषा सिखाने के पाठ्यक्रम भी चलाये जाते हैं।  कन्नड़, तेलुगू, मलयालम और उड़िया भाषाओं के लिए भी विशिष्ट केंद्र खोले गये हैं।  वर्ष 2020 में संस्कृत के लिए तीन विश्वविद्यालयों की स्थापना की गयी।  विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में भारतीय भाषाओं के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए कार्यक्रम एवं पाठ्यक्रम चलाये जा रहे हैं।  आशा है कि जिन भाषाओं को अब शास्त्रीय श्रेणी में शामिल किया गया है, उनके विकास के लिए भी अकादमिक प्रयास होंगे।  संस्थाओं और नागरिकों को भी इस दिशा में योगदान करना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top