Breaking News
केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तारीख का ऐलान, इस दिन होगी वोटिंग
केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तारीख का ऐलान, इस दिन होगी वोटिंग
विजिलेंस ने स्वास्थ्यकर्मी को रिश्वत लेते पकड़ा
विजिलेंस ने स्वास्थ्यकर्मी को रिश्वत लेते पकड़ा
सीएम धामी ने पीसीएस परीक्षा में चयनित 289 अधिकारियों को प्रदान किये नियुक्ति पत्र
सीएम धामी ने पीसीएस परीक्षा में चयनित 289 अधिकारियों को प्रदान किये नियुक्ति पत्र
भारत ने अमेरिका के साथ प्रीडेटर ड्रोन्स खरीदने का किया सौदा, भारतीय नौसेना की बढ़ेगी ताकत 
भारत ने अमेरिका के साथ प्रीडेटर ड्रोन्स खरीदने का किया सौदा, भारतीय नौसेना की बढ़ेगी ताकत 
पीएमएवाई के लाभार्थियों के चयन के डिमाण्ड सर्वे को जल्द पूरा करने के निर्देश 
पीएमएवाई के लाभार्थियों के चयन के डिमाण्ड सर्वे को जल्द पूरा करने के निर्देश 
घरेलू टी20 प्रतियोगिता ‘सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी’ से हटा इम्पैक्ट प्लेयर नियम, बीसीसीआई ने किया एलान 
घरेलू टी20 प्रतियोगिता ‘सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी’ से हटा इम्पैक्ट प्लेयर नियम, बीसीसीआई ने किया एलान 
पर्यटकों के लिए खोला गया कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का बिजरानी जोन
पर्यटकों के लिए खोला गया कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का बिजरानी जोन
भूस्खलन के चलते बंद गंगोत्री हाईवे लगभग आठ घंटे बाद आवाजाही के लिए खुला
भूस्खलन के चलते बंद गंगोत्री हाईवे लगभग आठ घंटे बाद आवाजाही के लिए खुला
मसल्स बनाने के लिए ये हैं प्रोटीन के सबसे बड़े सोर्स, अपनी डाइट में ऐसे करें शामिल
मसल्स बनाने के लिए ये हैं प्रोटीन के सबसे बड़े सोर्स, अपनी डाइट में ऐसे करें शामिल

भ्रष्टाचार से पीड़ित देशवासी

भ्रष्टाचार से पीड़ित देशवासी

ओमप्रकाश मेहता
एक जमाना था, जब राजनीति को सही अर्थों में जनसेवा का सशक्त माध्यम माना जाता था, किंत अब यही माध्यम भ्रष्टाचार का सशक्त माध्यम बन गया है और आज के सत्ताधीश इस सामाजिक कोढ को मिटानें के नही, बल्कि इसके विस्तार के माध्यम बने हुए है, सवाल अब सिर्फ भ्रष्टाचार को सिर्फ आगे बढ़ानें का नही बल्कि उसे कानूनी रूप से रोकने या खत्म करने की शपथ वाली एजेंसियां भी इस कोढ के विस्तार का माध्यम बना दी गई है, आज की राजननीति नें सीबीआई, सीआईडी जैसी सरकारी जोंच ऐजेंसियों को अपने तुच्छ इरादों और मकसदों का माध्यम बना रखा है और इन तथाकथित स्वतंत्र जांच एजेंसियों पर कब्जा कर इन्हें इनके कार्य व दायित्व को ईमानदारी से निभानें में अवरोध पैदा करना शुरू कर दिया है।

इन्हें स्वतंत्र रूप से अपने दायित्व निर्वहन की अनुमति ही नही दी जा रही है, इसका ताजा उदाहरण हाल ही में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीबीआई) द्वारा जारी रिपोर्ट है, जिसमेें खुलासा किया गया है कि केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो(सीबीआई) गंभीर भग्रष्टाचार सें सम्बन्धित 212 मामलों की जांच करके दोषियों को दण्डित करना चाहती है, लेकिन चूंकि इस जांच के लिए केंद्र व सम्बन्धित राज्य सरकारों की मंजूरी कानूनी तौर पर जरूरी है और केंद्र व सम्बन्धित राज्य सरकारों में विराजित आरोपित अधिकारी व नेता जांच करवाना नही चाहतें, इसलिए सीबीआई इनकी जॉच नही कर पा रही है, सीबीआई के पास ऐसी जॉच की अनुमति के प्रकरण पिछले वर्षों से लम्बित है और सम्बन्धित भ्रष्ट अधिकारी व नेता यह जॉच होनें नही देना चाहते?

अब यहां सवाल यह है कि जिनकी जॉच होना है, वे ही भला जॉच की अनुमति कैसे देगें? यह अनुमति का प्रावधान रखा ही क्यों गया? जब सीबीआई, सीआईडी कों स्वतंत्र जॉच एजेंसी का दर्जा दिया ग्रया है तो फिर उनकी स्वतंत्रता’ क्यों छीन ली गई? आज इसी बात को लेकर केंद्रीय सतर्कता जॉच आयोग (सीबीआई) कॉफी परेशान है, फिर सवाल यह भी है कि सीबीसी (सतर्कता आयोग) जब कानूनी रूप से स्वतंत्र है तो सलाहो को केन्द्र व राज्य सरकारें मानती क्यों नही है? सीबीआई ने दिसम्बर 2023 तक की जारी अपनी रिपोर्ट में उन मामलों का भी जिक्र किया है, जिनमें जांच में दोषी पाए गए अफसरों के खिलाफ आयोग की सिफारिशों को भी दर-किनार कर दिया गया इनमें विभिन्न मंत्रालयों और केंन्द्र सरकार के अधीन संस्थाऐं (पीएसयूु बैंक आदि) शामिल है, सीबीसी केंन्द्रीय मंत्रालायों और पीएसयू बैंकों में मुख्य सतर्कता अधिकारियों (सीबीओ) के जरिए भ्रष्टाचार पर अनियमितताओं पर नजर रखता है।

इस रिपोर्ट में मुख्य राज्य सरकारों व केंद्र शासित राज्यों में लम्बित मामलों की जानकारी भी दी गई है, जिनमें महाराष्ट्र में तीन, उत्तरप्रदेश में दस, पश्चिम बंगाल में चार, जम्मू-कश्मीर में चार, पंजाब में चार, मध्यप्रदेश में एक व अन्य पन्द्रह मामलें है, इन 41मामलों में 149 अधिकारी शामिल बताए गए है। इनके अलावा 81 अन्य मामलें तीन माह से ज्यादा पुराने है। लम्बित मामलों में 249 अधिकारियों के खिलाफ 81 मामले लम्बित है, इनकी लम्बे समय से जॉच रिपोर्ट आ जाने के बाद भी अभियोजन की मंजूरी के अभाव मे ये मामले लम्बित है और सरकार के विभिन्न पदों पर अभी भी विराजित ये अधिकारी अपनी भ्रष्टाचार की भूख को शांत नही कर पा रहे है और उसमे दिन दूनी रात चौगनी अभिवृद्धि हो रही है।

अब सीबीआई अपने दायित्व का निर्वहन पूरी निष्ठा व ईमानदारी के साथ करना चाहती है, किंतु वह करें कैसे? अभियोजन की मॅजूरी का अवरोध सामने जो है? अब सवाल यही मूल है कि भ्रष्टाचार मिटे कैसे, उसे मिटाने की किसी को चाहत तो हो? इसका एक ही सरल उपाय है सीबीआई, सीआईडी को जॉच की अनुमति के बन्धन से मुक्त कर उसे स्वतंत्र छोड़ दिया जाए, जो आज कें इस युग मे सम्भव नही है।
ज्.और इस मामलें में स्पष्ट व न्यायपूर्ण सोच के अभाव में यह रोग अब महारोग बनता जा रहा है, जो संक्रमण की तरह हर सरकार को खोखला करता जा रहा है और इस बारे में कहीं किसी भी दिशा या स्तर पर गंभीरता नही है। आखिर यही हाल रहा तो इस देश का क्या होगा? इस सवाल का अब कोई महत्व नही है, क्योंकि इसका उत्तर किसी के पास भी नही है, चिंतित है तो केवल और केवल भ्रष्टाचार से पीड़ित देशवासी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top